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डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।

एतद् कवचमीशान तव स्नेहात्प्रकाशितम्।

ಪಾತು ಮಾಂ ವಟುಕೋ ದೇವೋ ಭೈರವಃ ಸರ್ವಕರ್ಮಸು



ॐ ह्रीं बाहुयुग्मं सदा पातु भैरवो मम केवलम् ।

आयुर्विद्या यशो धर्मं बलं चैव न संशयः ।





वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव here में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।

 



नीलग्रीवमुदारभूषणशतं शीतांशुचूडोज्ज्वलं

पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा

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